चित्रकूट में पर्यटन के खुल सकते हैं बड़े द्वार , भारतीय पुरातत्व की टीम ने किये लगातार दो दौरे


मानिकपुर /चित्रकूट  
   मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट की पावन धरती भारत के मानचित्र पर धार्मिक केंद्र के रूप में तो प्रसिद्द ही थी लेकिन अब बड़े पुरातात्विक स्थलों के रूप में भी स्थान बनाने जा रही है । इसका सबूत है चित्रकूट की धरती पर भारतीय पुरातत्व विभाग के लगातार दो दौरे , जो आने वाले समय में निःसन्देह चित्रकूट के लिए ऐतिहासिक होंगे ।

भारतीय पुरातत्व विभाग को चित्रकूट के दौरे के लिए मजबूर करने वाले यहीं के एक संघर्षशील युवा पत्रकार अनुज हनुमत ही हैं । जहाँ की दूसरे राज्य की सरकारें अपने अपने यहाँ पर्यटकों को बुलाने के लिए अख़बारों- टीवी पर आक्रामक रूप से प्रयास कर रही हैं । वहीं उत्तर प्रदेश इस मामले में पीछे है । आपने भी बमुश्किल ही उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग का प्रचार टीवी या अखबार पर देखा होगा । इस बीच भारतीय पुरातत्व विभाग -नई दिल्ली के लगातार दो दौरों ने पर्यटन की संभावनाओं पर बुन्देलखण्ड को एक कदम और आगे लाकर खड़ा कर दिया है ।

   भारतीय पुरात्तव विभाग की पहली टीम ने उपनिदेशक डॉ. आर सिन्हा के नेतृत्व में चित्रकूट जिले के मानिकपुर तहसील के सरहट स्थित पुरापाषाणकालीन शैलचित्रों का निरीक्षण किया ।दरअसल युवा पत्रकार अनुज हनुमत ने सरहट स्थित इन शैलचित्रों को प्रकाश में लाने का कार्य किया और फिर उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय को प्रार्थना पत्र लिखकर इस सम्बन्ध में जल्द से जल्द उचित कार्यवाही की मांग की । इसके बाद पीएमओ ने जल्द ही पत्र को संज्ञान में लेते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम को भेजा ।

डॉ सिन्हा के नेतृत्व मानिकपुर आई पुरातत्व विभाग की टीम ने इन स्थानों का सघन निरीक्षण किया । अनुज हनुमत के अनुसार भारतीय पुरातत्व विभाग की टीम ने कहा कि ये हजारों साल पुराने शैलचित्र भीमबैठका से भी बड़ी खोज हो सकते हैं ।उनके अनुसार डॉ सिन्हा ने कहा कि इनका विकास करने में भारतीय पुरातत्व विभाग अपनी पूरी शक्ति लगा देगा । जानकारी के लिए आपको बता दें कि भले ही पुरातत्व विभाग ने अपने इन दौरों को स्थानीय मीडिया से दूर रखा हो लेकिन विभाग इन मुद्दों पर काफी गंभीरता से प्रयासरत है ।

अनुज हनुमत ने इन हजारों साल पुराने शैलचित्रों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि चित्रकूट जिले से तीस किलोमीटर दूर मानिकपुर के पास सरहट नामक स्थान पर प्राचीनतम शैलचित्र भारी संख्या में मौजूद हैं। ये तीस हजार साल पुराने बताए जाते हैं। उन्होंने कहा कि पहले मेरा ये महज कुछ चित्रों का समूह बस है लेकिन इनका पूरा अध्ययन करने के बाद पता लगा की ये तो पाठा की पुरापाषाणकालीन संस्कृति है जो बहुत बड़े क्षेत्र में फ़ैली हुई है ।ऐसे ही सरहट के पास बांसा चूहा, खांभा, चूल्ही में और भी ज्यादा संख्या में इस तरह के शैलचित्र मिलते हैं। सरहट के 20 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में करपटिया में 40 शिलाश्रयों का समूह दर्शनीय है। अनुज हनुमत ने बताया कि सरहट और उसके आस पास के स्थानों पर जो शैलचित्र पाये गये हैं वो भी हूबहू भीमबैठका के शैलचित्रों जैसे ही हैं। यानि कि भीमबैठका और सरहट के शैलचित्रों में काफी सामानता है । इस कारण ये भी हजारों साल पुरानी संस्कृति हुई ।भीमबैठका के चित्रों में प्रयोग किये गए खनिज रंगों में मुख्य रूप से गेरुआ और लाल रंग है ।

उन्होंने कहा कि इस पाठा संस्कृति के अवशेष इसलिए भी नष्ट हो सकते है क्योंकि इससे एक किमी दूर ही खनन माफियो द्वारा अवैध रूप से वोल्डरों का खनन जारी है । इसलिये सरकार इसे तुरन्त सरंक्षित क्षेत्र घोषित करें । वैसे इन शैल चित्रों के माध्यम से आने वाली पीढ़ी एक नई कला को जन्म दे सकती है । यह खोज युवा पीढ़ी की खोज है जिसने ये साबित कर दिया की किताबों में लिखे पुरातात्विक ध्वंसावशेष आज भी जीवित अवस्था में है ।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की दूसरी टीम भी संघर्षशील युवा पत्रकार एवं मानिकपुर विकास मोर्चा के संस्थापक अनुज हनुमत के द्वारा पीएमओ को प्रेषित किये गये पत्र के कारण चित्रकूट की पावन धरती पर आई । इस टीम ने भारतीय पुरातत्व विभाग के उप रिसर्च निदेशक एके तिवारी के नेतृत्व में मानिकपुर स्थित पुराने थाने का निरीक्षण किया ।  दरअसल , मानिकपुर तहसील के अंतर्गत ही मानिकपुर नगर में ब्रिटिशकालीन समय का एक ऐसा सैकड़ो पुराना थाना है जहाँ लोगो की मानें तो किसानों - मजदूरों को फांसी दी जाती थी । अनुज हनुमत और उनकी टीम चाहती है कि इस स्थान को सरकार सरंक्षित करके 'शहीद स्थल' के रूप में विकसित कर क्योंकि यहाँ से स्थानीय लोगों के संघर्ष की यादें जुडी हैं । अनुज हनुमत के अनुसार अगर समय रहते इसे सरंक्षित नही किया गया तो आने वाले कुछ वर्षों में यह नष्ट हो जायेगा ।


 अनुज हनुमत के अनुसार मानिकपुर ब्लाक संसाधन केंद्र के ठीक पीछे पड़ा खंडहर जो आज भी चींख-चींखकर अपने देश के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करने वाले अमर शहीदों की याद दिलाता है। आपको बता दें कि मानिकपुर (चित्रकूट), जिला मुख्यालय से 30 किमी की दूरी पर है ।

अनुज हनुमत बताते हैं कि हमारे नगर में स्वतन्त्रता संग्राम और उस समय के बहुत से अवशेष जीवित हैं परन्तु मात्र खंडहरों के रूप में ,अगर अगले 2-3 साल तक इनकी देखरेख नही की गई तो ये धूल धूसरित हो जायेंगे ।उन्होंने बताया कि जानकारी इकठ्ठा करने के दौरान मुझे 1906 से 1909 ई. के बीच का नक्शा प्राप्त हुआ जिसका अध्ययन करने पर 684 नं. पर यह स्थान 'थाना मानिकपुर' के नाम से दर्ज है ।अर्थात् शुरुआती जांच पड़ताल से यह स्थान 100 साल से भी अधिक पुराना है । नगर के कुछ बुजुर्गो के अनुसार यहाँ 60 साल पूर्व थाने में ब्रिटिशो के द्वारा देशभक्तो को फाँसी दी जाती थी । जब मैंने इसकी हालत देखी तो मुझे बहुत दुःख हुआ यहाँ का हर कीमती सामान व् दस्तावेज लोहे से बने दरवाजे व् छड़ व् अन्य बेशकीमती सामान सरकार की उदासीनता के कारण चोरी हो गए । क्या शहीदों को ऐसा ही सम्मान मिलता रहेगा । अनुज हनुमत ने कहा कि पुरातत्व विभाग की उपेक्षा के चलते स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देश भक्तों के ऐसे शहीद स्थल खंडहर में तब्दील हो रहे हैं ।इसके चलते इतिहास की बेशकीमती धरोहर के नष्ट होने का खतरा पैदा हो गया है । जिले के इक्का दुक्का शहीदों की यादों के  इस  तरह के खजाने को लेकर शासन और प्रशासन की उदासीनता लोगो को परेशान करती है ।


एक बार जरूर सोंचिये की खंडहर हो रही इन ऐतिहासिक धरोहरों के मामले में सरकार का ध्यान कभी  गया हो !सरकार के पास सौ काम है फिर उसको दोष देना भी जायज नही । यह मामला सरकार के सामने प्रभावशाली ढंग से रखने का भी किसी ने कोई प्रयास किया ? हमारी वैभवशाली विरासत गर्त में जा रही है और हम आज भी इससे अंजान बने है ।  स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस या किसी वीर सपूत के शहीद दिवस के मौके पर एक बार जरूर सोंचिये की कल कहीं आपके नाती-पोते ने कोई तस्वीर देखकर कहा की दादा-बाबा हमें इस जगह जाना है तो उनसे क्या यह कह पाएंगे की हमारे नकारेपन की वजह से अब इसका वजूद नही रह गया है । ऐसे में पुरातत्व विभाग को इस भवन को अपने कब्जे में लेकर ऐतिहासिक धरोहर के रूप में इसका विकास करना चाहिए ताकि ऐसे क्षेत्रों के नवयुवक शहीदों की कुर्बानी के सम्बन्ध में जान सके । इसके आलावा भवन को शहीद स्थल के रूप में घोषित करते हुए यहाँ से चोरी हुई सामग्री बरामद की जाये । मेरे सुझावनुसार मोदी  सरकार को 'शहीद विभाग' का गठन करना चाहिए जो ऐसे शहीद स्थलों को खोजे ,उनकी मरम्मत कराये ,विचार गोष्ठीयां कराये !पूरे देश में एक ऐसा आंदोलन बन जाये जहाँ शहीदों की कुर्बानी को वाकई में महसूस किया जाये।

  वाकई पुरातत्व विभाग की टीम का लगातार चित्रकूट की पावन धरती पर आना महज एक संयोग नही है बल्कि स्पष्ट संकेत है कि आने वाले दिनों में यहाँ पर्यटन के नये क्षेत्रो की खोज होने वाली है । वैसे भी चित्रकूट और उसके आसपास के क्षेत्रों में पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाएं हैं जिसे नकारा नही जा सकता । लेकिन गौर करने वाली बात यह भी है कि यहाँ के जनप्रतिनिधि और प्रशासन का रवैया इन स्थानों के सरंक्षण के प्रति काफी लचर एवं संवेदन






शील है ।

-विशेष एक्सक्लुसिव  रिपोर्ट - अनुज हनुमत 
मो. 09792652787

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