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Showing posts from February, 2016

प्रशासन मस्त ~जनता त्रस्त

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यूं तो कहने को मेरा उप्र सँवर रहा है बदल रहा है पर शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जो प्रदेश भर की सड़को के हाल से संतुष्ट हो ? सबसे ज्यादा भ्रस्टाचार भी सड़कों के निर्माण में ही होता है। शायद जरूरी भी है क्योकि ज्यादातर ठेकेदारों को या तो चुनाव लड़ना होता है या तो राजनीती में मोटी रकम दानस्वरुप देनी होती है । सड़को का यही खस्ताहाल मेरे जिले चित्रकूट का भी है जहाँ दिखने में तो विकास की भरमार है पर सड़क और बिजली के मामले में जनता त्रस्त है । यहाँ की अधिकांश सड़के 'गड्ढे' में तब्दील हो चुकी हैं ।ऐसी सड़कों के उदाहरण बहुत हैं किस किस के नाम लिखे जाएँ पर किसी एक का जिक्र करना तो आवश्यक ही है। जिला मुख्यालय से 30 किमी दूर मानिकपुर नगर की एक और ख़ास सड़क है जो मौजूदा समय में तहसील मुख्यालय से होती हुई पास के कई गाँवों को जोड़ती है जिसकी सबसे ज्यादा खस्ता हालत कल्याणकेंद्र चौराहे से तहसील मुख्यालय तक है जिसकी लम्बाई महज डेढ़ किमी होगी । इस सड़क से महीने में एक बार जिलाधिकारी महोदय तो गुजरती ही हैं पर एसडीयम साहब और तहसीलदार तो रोजाना ही गुजरते हैं ऐसे में इन सभी प्रशासन के अलाधिकारियों को सड़क के

जयंती विशेष : इस संघ नेता की कम्‍युनिस्‍ट भी करते थे तारीफ, जेपी ने भी माना था विचार का लोहा..!

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार ने अपने निधन से पहले जिनके कंधो पर संघ का कार्यभार सौंपा था। वे माधवराव गोलवरकर थे। उन्हें सब प्रेम से 'गुरू जी' कहकर पुकारते थे। आज ही के दिन 19 फ़रवरी 1906 ई. को नागपुर में हुआ था । अखण्डता के विचार के पोषक गुरु जी   :  गुरु जी ने सन् 1940 से 1973 इन 33 वर्षों मे संघ को अखिल भारतीय स्वरूप प्रदान किया। इस कार्यकाल में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारप्रणाली को सूत्रबध्द किया। श्री गुरुजी, अपनी विचार शक्ति व कार्यशक्ति से विभिन्न क्षेत्रों एवम् संगठनों के कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणास्रोत बनें। श्री गुरु जी का जीवन अलौकिक था, राष्ट्र जीवन के विभिन्न पहलुओं पर उन्होंने मूलभत एवम् क्रियाशील मार्गदर्शन किया। “सचमुच ही श्री गुरूजी का जीवन ऋषि-समान था।” भारतवर्ष की अलौकिक दैदीप्यमान विभूतियों की श्रृंखला में श्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर का राष्ट्रहित, राष्ट्रोत्थान तथा हिन्दुत्व की सुरक्षा के लिए किए गए सतत् कार्यों तथा उनकी राष्ट्रीय विचारधारा के लिए वे जनमानस के मस्तिष्क से कभी विस्मृत नहीं होंगे। वैसे तो 20वीं सदी

आखिरकार दस्यु सम्राट ददुआ को मरणोपरांत मिल ही गया भगवान का दर्जा, मूर्ति हुई स्थापित

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    पाठा की सरजमीं में लगभग चार दशक से भी ज्यादा लम्बे समय तक आतंक का पर्याय रहे  दस्यु सम्राट ददुआ की मूर्ति का अनावरण अंततः धाता (फतेहपुर) में कर दिया गया है जिसके बाद अब वो मरणोपरांत भगवान् की श्रेणी में आ गये हैं जबकि अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में #ददुआ का दूसरा अर्थ दहशत ही था। बुंदेलखंड के बीहड़ो में दो दशक तक आतंक की दुनिया का सरगना बना रहा दुर्दांत डकैत दस्यु शिवकुमार पटेल और ददुआ की मूर्ति लगने को लेकर बेतरतीबी से विरोध देखा जा रहा था पर आज फतेहपुर से ८० किमी दूर धाता ब्लॉक के कबरहा गाँव में हनुमान मंदिर में वैदिक मंत्रोचारण के बीच दुर्दांत डकैत ददुआ की मूर्ति स्थापित कर दी गई है. जिसको देखने के लिए दूर दराज़ के गाव से लोगो के भीड़ जमा हो रही है.           गौरतलब हो कि एक लम्बे समय तक बुंदेलखंड के बीहड़ो में अपने आतंक का सिक्का जमाये रखने से लेकर बुंदेलखंड की सियासत की दुनिया में अपने हुक्म की नाल ठोंककर मनचाहे प्रत्याशियों को सियासत की दुनिया का बेताज बादशाह बनाने वाला डकैत ददुआ जुलाई २००७ में एसटीएफ मुठभेड़ में मार गिराया गया था जिसके बाद एक के बाद एक डकैतो ने सर उठान

जेएनयू मामला : राहुल गांधी-केजरीवाल की अब तक की सबसे बड़ी गलती, भारी पड़ी सियासत..!

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हमारे देश की राजनीति का स्तर इतना गिर गया है की कुछ नेता तो अपने राजनीतिक कुर्ते की सफेदी चमकाने के लिए किसी भी प्रकार के हथकंडे अपनाने से नही चूक रहे। अब चाहे बात राहुल गांधी की हो या केजरीवाल की, दोनों ही अपने हर नये बयान के बाद एक नौसिखिये नेता के रूप में राजनीति सीखते हुए बच्चे की तरह नजर आते हैं। शायद इन दोनों ने इतनी पढ़ाई पहले ही कर ली है कि इन्हें देश की संप्रभुता और स्वाभिमान से कोई मतलब नही इसीलिए शायद ये पिछले दिनों जेएनयू में हुए बवाल में उन अराजक तत्वों के साथ खड़े हैं, जिन्होंने देश की अखण्डता व् संप्रभुता को खंडित करने में अपनी ओर से कोई कसर नही छोड़ी थी। लेखक राजीव सचान अपने एक लेख में लिखते हैं, कि जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाने वालों के बचाव में एक कुतर्क  यह भी है पेश किया जा रहा है कि वहां इस तरह का काम पहले भी होता रहा है। जैसे 2010 में छत्तीसगढ़ में 76 सीआरपीएफ  जवानों की हत्या पर खुशी जताई जा चुकी है। एक अन्य कुतर्क यह भी है कि कश्मीर घाटी में भी अफजल के समर्थन में नारें लगते हैं। क्या यह कहने की कोशिश हो रही है कि अगर ऐसे ही नारे द

ये है विश्‍व का सबसे अनूठा बच्‍चा, दंग कर देगा 7 साल के इस नन्‍हे आइंस्‍टीन का कारनामा..!

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किसी ने सच ही कहा है 'होनहार बिरवान के होत सीकने पात' ऐसी ही लोकोक्ति को जीवन्त किया है, कानपुर शहर के सात वर्षीय नन्हे बालक सास्वत शुक्ल ने जो वर्तमान समय में कक्षा 6 के छात्र हैं। खास बात यह है की सास्वत ने महज 5 वर्ष 3 माह 14 दिन में (बुद्धि लब्धि) स्तर (I.Q.level) 165 प्राप्त किया है, जो की मनोवैज्ञानिक परीक्षण के उपरान्त प्रमाणित किया गया था। यह स्तर वर्तमान समय में इस छोटी से उम्र में संभवतः विश्व में सबसे अधिक है। कुछ ही दिन पहले अपने आईक्यू लेवल के जरिये चर्चा में आया छोटा सा बालक कौटिल्य पंडित देखते ही देखते छा गया। ऐसा ही एक बालक कौटिल्य कानपुर में है, जो बादलों में छिपे सूरज की तरह है। सास्वत दादानगर की सेवाग्राम कालोनी में पिता सत्येंद्र कुमार शुक्ला ,मां रेखा और बहन सृष्टि के साथ रहता है। मात्र सात साल की उम्र में वह कक्षा छह मे पढ़ रहा है, और उसका आई क्यू लेवल लगभग आइंस्टीन के बराबर 165 है। इस उम्र में वह अखबार ही नहीं, बल्कि इंजीनियरिंग की किताबें भी बिना रुके ही पढ़ लेता है। देश के लिए बहुत कुछ करने की चाह रखने वाले सास्वत बड़े होकर वैसे तो एक मनो