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Showing posts from September, 2016

मेरा पत्र - "अब सहन नही होता ,कुछ तो करिये प्रधानमन्त्री जी..........!"

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     प्रिय प्रधानमन्त्री ,              हमारा पड़ोसी देश 'आतंकवाद' का रास्ता अपनाकर लगातार हमारे जवानों को मौत की नींद सुला रहा है और हमारे देश के स्वाभिमान का लगातार बलात्कार करने पर अमादा है । ऐसे वक्त में जब आपका व्यक्तित्व पूरे विश्व को शांति का एक नया सन्देश दे रहा है ऐसे में अपने ही देश में अशांति क्यों ? सवा सौ करोड़ देश की जनता को आप पर विश्वास है की पड़ोसी मुल्क के घृणित कार्यों पर आप लगाम लगाएंगे । लेकिन एक बात समझ नही आती की ऐसे समय में जब देश की सभी राजनीतिक पार्टियों को एक मंच पर आकर आतंकवाद से निपटने के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए  लेकिन ऐसी स्थिति में भी हमारे देश के अधिकांश नेताओं की 'मर्दानगी' सियासी कुर्सी के लालच में चूड़ियाँ पहनकर बैठ जाती है ।125 करोड़ भारतीय हैं 'हम' चाहे तो हमारी एक हुंकार से पड़ोसी देश में सुनामी आ सकती है । लेकिन हमारे यहाँ की आपसी राजनीतिक नूराकुश्ती के सियासी बुखार ने विश्व के सबसे मजबूत 'भारतीय लोकतंत्र' को भी बीमार कर रखा है । सर, तमाम सोशल साइट्स में  अधिकांश लोगो द्वारा आपको युद्ध की सलाह दी जा रही

विंध्य रेंज की एक विशिष्ट पुरापाषाणिक संस्कृति खत्म होने की कगार पर

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  चित्रकूट से तीस किलोमीटर दूर मानिकपुर के पास सरहट नामक स्थान पर प्राचीनतम शैलचित्र भारी संख्या में मौजूद हैं। ये तीस हजार साल पुराने बताए जाते हैं। पहले मैं भी मानता था की ये महज कुछ चित्रों का समूह बस है लेकिन इनका विस्तृत अध्ययन करने के बाद लगा की ये तो पाठा की पाषाणकालीन संस्कृति है जो बहुत बड़े विस्तृत क्षेत्र में फ़ैली हुई है । सरहट के पास ही बांसा चूहा, खांभा, चूल्ही में भी इस तरह के शैलचित्र मिलते हैं। सरहट के 20 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में करपटिया में 40 शिलाश्रयों का समूह दर्शनीय है। यहां बिखरीं पड़ीं धरोहरें इतिहास के कालखंडों के रहस्यों को अपने गर्भ में छिपाए हैं।ये शैलचित्र यहां की प्राचीन शैली के गवाह हैं, पर संरक्षण के अभाव में ये जीवंत दस्तावेज विलुप्त होने के कगार पर है। इतिहासविद् शैलचित्रों के आरंभ को ईसा पूर्व से ही जोड़ते हैं। यह देखना आश्चर्यजनक है कि इन पेंटिंग्स में जो रंग भरे गए थे वो कई युगों बाद अभी तक वैसे ही बने हुए हैं. इन पेंटिंग्स में आमतौर पर प्राकृतिक लाल ,गेरुआ और सफेद रंगों का प्रयोग किया गया है। प्राचीन इतिहास का छात्र होने के नाते जहा