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Showing posts from March, 2017

#बुन्देलखण्ड : इस बार भी बेरंग रही पाठावासियो की होली

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मानिकपुर/ पाठा की धरती तीन दशक से भी ज्यादा समय से सूखे की मार झेल रही है । पिछली बार भीषण बाढ़ ने बहुत नुकसान किया । मुआवजे के नाम पर छोटे छोटे सूखे चेक पीड़ितों को पकड़ाये गये । हर बार की तरह खाने के लिए अन्न ज्यादा मात्रा में न पैदा होने के कारण किसानों का ये रंग बिरंगा होली का त्यौहार भी बेरंग ही साबित हुआ । हालत इतनी ख़राब है की गाँवो में पसरा सन्नाटा , घरों में लटके ताले , सूखे पड़े खेत, सूखी नदियाँ, खाली पड़े खूंटे  सारी स्थिति बयां कर रहे हैं ।  कुछ किसानों का कहना था की सोंचा था कि इस बार बारिश अच्छी हुई है तो हँसी खुशी होली मनाएंगे पर स्थिति ज्यादा अच्छी नही रही । सरकारी अमला कुछ भी कहे लेकिन तस्वीरें सब बयां कर रही हैं ।अधिकांश गाँवों में ज्यादातर घर सुनसान पड़े हैं जिसमे एक दुक्का बूढ़े माँ बाप रह रहे हैं और उनमे से ज्यादातर लोग बाहर पलायन कर चुके हैं । पलायन करने वालों में नौजवानों की संख्या काफी ज्यादा है ।  गौरतलब है कि होली का त्यौहार खुशियों लेकर आता है । सभी को आशा रहती है की खुशियों के अलग अलग रंग देखने को मिलेंगे पर यहाँ तो सिवाए निराशा के कोई रंग देखने को न

रिपोर्टिंग के दौरान मारकुंडी के जंगल मे मिले हजारों साल पुराने सभ्यता के निशान

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                               मारकुंडी/चित्रकूट      पाठा क्षेत्र के बीहड़ इलाकों मे रिपोर्टिंग दौरान मुझे और मेरी टीम को मारकुंडी और टिकरिया के बीच पड़ने वाले बड़पथरी के जंगलों हजारों साल पुरानी सभ्यता के कुछ और निशान मिले जो कि एक बड़ी खोज साबित हो सकती है ! इस स्थान पर जो शैलचित्र मिले वो एक बड़े शैलाश्रय पर बने थे । ये हमे अब तक प्राप्त सभी शैलचित्रों में सबसे अनोखा और  खास लगा क्योंकि इसमें बने शैलचित्र जानवरों की लड़ाई से सम्बंधित हैं । इसमें मानव सभ्यता के शुरुआती दौर के कई राज छिपे हो सकते हैं ।  गौरतलब हो कि इससे पहले भी मैंने अपनी रिपोर्टिंग के दौरान सरहट , बांसा ,चूही और करपटिया के आस पास बड़ी संख्या में शैलचित्र प्रकाश में लाये थे ।  आपको बता दें कि मारकण्डेय आश्रम से कुछ ही दूरी पर बगहा जंगलों में एक विशाल शैलाश्रय (चट्टान) पर आदि मानव द्वारा बनाए गये शैलचित्र काफी मात्रा मे मौजूद हैं। मैंने इन शैल चित्रों को प्रकाश में लाकर उन्हें सरंक्षित करने हेतु पीएमओ को पत्र भेजा था । जिसके बाद पुरातत्व विभाग की टीम ने इनमें से कुछ स्थानों का निरीक्षण किया था । पाठा मे हजार

मानिकपुर के सैकड़ो वर्ष पुराने थाने में धूमधाम से मनाया गया शहीद दिवस

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रिपोर्ट - अनुज हनुमत मानिकपुर/चित्रकूट         आज शहीद दिवस के मौके पर मानिकपुर विकास मोर्चा द्वारा नगर स्थित सैकड़ो वर्ष पुराने थाने (ब्रिटिश कालीन थाना जहाँ किसानों-मजदूरों को फांसी दी जाती थी) में भारत माता के अमर सपूतों - 'शहीद भगत सिंह -सुखदेव-राजगुरु' का बलिदान दिवस मनाया गया । मानिकपुर विकास मोर्चा विगत कई वर्षों से लगातार इस शहीद स्थल पर शहीद दिवस मनाता आ रहा है । गौरतलब हो कि देश की आजादी के लिए अपनी जान की बाजी लगने वाले अमर शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव को 23 मार्च 1931 को अंग्रेजों ने फांसी दे दी थी। इस अवसर पर आज पीएम मोदी ने भी ट्वीट कर शहीदों को याद किया। उन्होंने लिखा कि देश उनके बलिदान और साहस को कभी नहीं भूल सकता।  सबसे खास बात यह है कि भारत माता के अमर सपूत जिन्होंने देश की आजादी के खातिर अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया उनसे जुड़े ऐतिहासिक स्थलों को सहेजने की जरूरत है । ऐसे ही अंग्रेजों के समय की जेल मानिकपुर में थी जो आज सरकार की उदासीनता के चलते लगभग धूल धूसरित हो गया है । इन्ही में से एक मानिकपुर ब्लाक संसाधन केंद्र के ठीक पीछे पड़ा खंडहर ज

जब निरीक्षण के दौरान खुद परिवहन मंत्री ने बस में चढ़कर आम यात्रियों से पूछी उनकी समस्याएँ

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रिपोर्ट - अनुज हनुमत  लखनऊ / ऐसा नजारा बहुत ही कम देखने को मिलता है जब जनता के सेवक (मंत्री , प्रशासनिक अधिकारी) अपने वातानूकुलित चैम्बर से निकलकर जनता के बीच जाकर उनकी समस्याएँ सुनते दिखे । लेकिन कभी कभार कुछ जनसेवक अपने सादगी भरे कार्यों से जनता के दिल में स्वतः अपनी जगह बना लेते हैं । ऐसा ही एक नजारा कल उत्तर प्रदेश के नवनियुक्त राज्यमंत्री (परिवहन विभाग) स्वतंत्रदेव सिंह ने अचानक परिवहन विभाग से सटे बस अड्डे में पहुंचकर औचक निरीक्षण के दौरान पेश किया । उन्होंने निरीक्षण के दौरान परिवहन मंत्रालय के अन्तर्गत आरटीओ विभाग में कर्मचारियों एवं अधिकारियों से वार्तालाप एवं मिलने के बाद केसरबाग़ बसअड्डे जाकर बसों एवं बस अड्डे का निरीक्षण किया | साथ ही उन्होंने आरटीओ के अधिकारियों से मिलकर स्थिति का जायजा भी लिया |  शाम तक जैसे ही ये सूचना उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट में डाली वैसे ही देखते ही देखते लोगो ने शेयर करना शुरू कर दिया । कुछ लोगों ने पोस्ट शेयर करते हुए तो यहाँ तक लिख डाला कि उत्तर प्रदेश के इतिहास में पहली बार किसी परिवहन मंत्री ने बस में चढ़कर आम लोगों की समस्याएं

#बलिदान दिवस : कलम का ऐसा सिपाही जिसने अपनी अंतिम सांस भी पत्रकारिता के नाम कर दी

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     आज 25 मार्च के ही दिन गणेश शंकर विद्यार्थी जैसे महान शख्सियत ने देश की अखण्डता को बनाये रखने के लिए अपना बलिदान दिया था । आज वो हमारे बीच नही हैं पर उनके बताये गए आदर्श व् सिद्धांत जरूर आज भी हमें मजबूती प्रदान करते हैं । गणेश शंकर विद्यार्थी भारतीय पत्रकारिता के पितामह हैं । वो अक्सर कहा करते थे की समाज का हर नागरिक एक पत्रकार है इसलिए उसे अपने नैतिक दायित्वों का निर्वाहन सदैव करना चाहिए । गणेश शंकर विद्यार्थी पत्रकारिता को एक मिशन मानते थे पर आज के समय में पत्रकारिता मिशन नही बल्कि इसमें बाजार हावी हो गया है जिसके कारण इसकी मौजूदा प्रासंगिकता खतरे में है । गणेशशंकर विद्यार्थी आज ही के दिन 25 मार्च सन 1931 को कानपुर के हिन्दू-मुस्लिम दंगे में निस्सहायों को बचाते हुए साम्प्रदायिकता की भेंट चढ़ गए थे। इसी दंगे में उनकी मौत हो गई। सबसे ज्यादा दुःख यह था कि उनका शव अस्पताल में लाशों के ढेर में पड़ा मिला। वह इतना फूल गया था कि पहचानना तक मुश्किल था। नम आँखों से 29 मार्च को विद्यार्थी जी का अंतिम संस्कार कर दिया गया। गणेशशंकर विद्यार्थी एक ऎसे साहित्यकार रहे, जिन्होंने देश में अप

यूपी का योगी मंत्रीमण्डल

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यूपी का योगी मंत्रीमण्डल :मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ,उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य और दिनेश शर्मा सहित सुपर-47 की टीम इस प्रकार है -   22 कैबिनेट मंत्रियों ने ली शपथ :- ●सूर्य प्रताप शाही यूपी बीजेपी के अध्यक्ष रहे हैं और राज्य में बीजेपी के कद्दावर माने जाते हैं। ●सुरेश खन्ना कैबिनेट मंत्री बने हैं। उन्हें RSS का करीबी माना जाता है। ●स्वामी प्रसाद मौर्य को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला है। वे बीएसपी छोड़कर बीजेपी में आए थे। ●सतीश महाना कैबिनेट मंत्री बने हैं। कानपुर से 7 बार विधायक बने हैं। ●राजेश अग्रवाल कैबिनेट मंत्री बने हैं।  बरेली कैंट से विधायक बने हैं। अमित शाह और योगी के करीबी माने जाते हैं। ●रीता बहुगुणा जोशी को कैबिनेट मंत्री का तोहफ़ा मिला है। चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आईं थी। ●दारा सिंह चौहान मऊ की मधुबनी सीट से चुनाव जीते हैं। 2015 में बीएसपी छोड़कर बीजेपी में आए थे। ●धर्मपाल सिंह राजनाथ सिंह और अमित शाह के करीबी माने जाते हैं। बीजेपी में पिछड़ी जाति के चेहरे हैं। ●एस पी सिंह बघेल टूंडला विधानसभा सीट से बीजेपी के विधायक हैं। एसपी से बगा

जयंती विशेष : आज भी हमारे बीच हैं मजबूत इरादों की कल्पना !

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       एक ऐसी भारतीय महिला जिसने अपने मजबूत इरादों से पूरे विश्व में ये साबित कर दिया कि जब आप कोई कार्य पूरी लगन के साथ करते हैं तब आप उसमे सफल होते हैं । यूँ तो दुनिया में सभी लोगों को एक न एक दिन इस खूबसूरत जहां को अलविदा कहना होता है, लेकिन दुनिया में कुछ लोग सिर्फ जीने के लिए आते हैं, मौत महज उनके शरीर को खत्म करती है।  ऐसे ही जांबाजों में से एक भारत की बहादुर  बेटी  कल्पना चावला थीं । आज ही के दिन इस जाबांज बेटी ने जन्म लिया था । जो अंतरिक्ष की यात्रा करने वाली पहली भारतीय महिला थी ।  भले ही 1 फरवरी 2003 को कोलंबिया स्पेस शटल के दुर्घटनाग्रस्त होने के साथ कल्‍पना की उड़ान रुक गई लेकिन आज भी वह दुनिया के लिए एक मिसाल है । जानकारी के लिए आपको बता दें कि नासा वैज्ञानिक और अंतरिक्ष यात्री  कल्पना चावला  का जन्म (17मार्च 1962-1 फरवरी 2003) हरियाणा के करनाल में हुआ था. कल्पना अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय (उन्होंने अमेरिका की नागरिकता ले ली थी)  महिला  थी । उनके पिता का नाम बनारसी लाल चावला और मां का नाम संज्योती था ।  शुरुआती पढ़ाई करनाल के टैगोर बाल निकेतन में हुई।

महिला दिवस विशेष : पूज्य माता श्री को प्रेषित पत्र ...

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दोस्तों आज पूरा विश्व  # महिला_दिवस  मना रहा है और सभी अपने अपने तरीके से इस पवित्र दिन को हर कदम पर साथ देने की कसम के साथ यादगार बनाना चाहता हैं और आज के दिन मैं भी इस दिन विशेष में बहुत से तथाकथित समाज के चिंतको के जैसे नकारात्मक बातें नही करूँगा बल्कि आज का ये पावन दिन मैं भी अपनी माँ को समर्पित करूँगा - मैं अभी तो अपनी माँ से 100 किमी दूर इलाहाबाद में हूँ पर आज मैं इस पवित्र दिन अपनी माता जी को अपना ये पत्र आप सभी के माध्यम से प्रेषित कर रहा हूँ - मेरी प्रिय माता श्री ,     प्रणाम ! मुझे भी सभी की तरह नही याद पर विश्वास है की मैंने भी अपने मुख से सबसे पहले माँ शब्द ही बोला होगा और आपने ने मुझे झट से अपनी गोद में उठाकर अपने आँचल से लगाया होगा ।सभी शास्त्र और विद्वानों का कहना है की 'माता ही एक बच्चे की प्राथमिक पाठशाला' होती है और इसका एहसास मुझे आज होता है जब मैं इस समाज रूपी माले में खुद को संस्कार रूपी मोतियों से पिरोया हुआ पाता हूँ । एक स्त्री को अपने जीवन में कई तरह के रिश्ते निभाने पड़ते हैं और हर रिश्ते में आप एक स्त्री को उसी विस्वास और समर्पण रूपी स्वरुप

महिला दिवस विशेष -महिला उत्पीड़न के पुरुष जिम्मेदार हैं !

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आज महिला दिवस है और सुबह से ही अधिकांश विद्वानों द्वारा लेखनी के माध्यम से  खूब चिंतन किया जा रहा है । आज के दिन खूब गोष्ठियां और तरह तरह के कार्यक्रम किये जा रहे हैं जिसका आयोजन पुरुषों द्वारा किया जा रहा है और पुरुषों द्वारा ही 'खूब माइक तोड़ाई' भी हो रही है । मेरे व्यक्तिगत विचार हो सकता है की सभी पुरुषों को चुभें पर एक पुरुष होने के नाते मुझे तो बहुत शर्म महसूस होती है। इस पुरुषसत्तात्मक समाज में पुरुष अपनी झूठी शान बनाये रखने के लिए सदैव 'स्त्री' के स्वाभिमान को कुचलता है और फिर कुछ लोग,कुछ कुर्सियों के साथ एक अदद माइक लेकर सजाना शुरू करते हैं उस मंच को जहाँ रचा जाता है इज्जत सहेजने के कार्यक्रम का  'स्वांग' !........  कुछ घण्टे माइक तोड़ने के बाद खुद पुरुष ही कसम खाते हैं की हम हर हाल में महिलायों की सुरक्षा करेंगे । उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सम्मान करेंगे ।         महिलाओं के उत्पीड़न के लिए ज्यादातर केवल पुरुष ही जिम्मेदार है जिसका सबसे बड़ा कारण 'सोंच का दोहरीकरण' है । अधिकांश ऐसे लोगों की गंदी मानसिकता उनके अपने रिश्तों में देखने को न

पाठा_का_संघर्ष : पाठा के विकास के लिए अंतिम साँस तक जारी रहेगा संघर्ष

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 #पाठा_का_संघर्ष :पाठा क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं । हमारी मुहीम को बड़ी मात्रा में पाठावासियों का जनसमर्थन भी प्राप्त होना शुरू हो गया है । मीडिया (प्रिंट + इलेक्ट्रॉनिक + न्यू मीडिया) का अभूतपूर्व सहयोग प्राप्त हो रहा है । स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को और ज्यादा संवेदनशील होने की जरूरत है क्योंकि बिना आपके समर्थन के मंजिल प्राप्त नही की जा सकती । पाठा में पर्यटन का जितना विकास होगा उतना पाठा का विकास होगा । जहाँ मानव सभ्यता का शुरुआती विकास हुआ हो वो पाठा की पावन भूमि किसी से पिछड़ी क्यों रहे । उसे हक आगे बढ़ने का - उसे हक है उन तमाम सुविधाओं को हासिल करने का जिसे आज आजादी के 70 साल बाद भी हासिल नही कर पाए । हमारा संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक पाठा को उसका हक नही मिल जाता ।   ये एक महज चित्र (शैलचित्र) की कहानी नही है बल्कि ये पाठा में पनपी एक बड़ी पुरापाषाणकालीन संस्कृति है और जैसे सिंधु घाटी सभ्यता की खोज बहुत बाद में हुई लेकिन आज वह श्रेष्टतम मानव संस्कृतियों में से एक है ।उसी प्रकार पाठा की ये संस्कृति भी तमाम रहस्य समेटे हुए है और समकालीन पाषाण संस्कृ