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Showing posts from April, 2017

#बुन्देलखण्ड : ऐसी प्रतिभा जिसे देखकर आप रह जायेंगे दंग , ये है असल गुदडी का लाल !

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चित्रकूट /  कहते है पूत के पाँव पालने में ही दिख जाते है  दोस्तों आज में आपको एक ऐसे ही लड़के के बारे में बताने वाला हूँ  जिसकी उम्र सिर्फ 14 साल है और वह कक्षा 9 का छात्र है लेकिन उसके कारनामे वाकई में काबिले तारीफ़ है । इस लड़के के कार्य देखकर बड़े बड़े वैज्ञानिकों को चक्कर आ सकता है । आपको यकीन नही होगा की इस उम्र का कोई लड़का क्रेन मशीन , मूर्तियां बना सकता है । लेकिन आपको हमारी बात पर यकीन करना होगा क्योंकि ये सच है ।   जी हां तीर्थराज पुरी ,सीतापुर (चित्रकूट) का निवासी  अभिषेक गुप्ता जिसकी उम्र महज 14 वर्ष है उसने महज इतनी छोटी सी उम्र में क्रेन मशीन बनाई है जो देखने को में तो काफी छोटी है लेकिन ठीक वैसे ही कार्य करती है जैसे कोई बड़ी क्रेन मशीन । अभिषेक ने जो क्रेन मशीन बनाई है उसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि उसमे पार्ट्स के रूप में सभी दैनिक दिनचर्या के उपयोग की वस्तुएं हैं । चाहे वो मशीन में प्रेशर के लिए प्रयोग किया गया सीरेंज हो या पहियों में लगाया गया रबर का पट्टा । अभिषेक की बनाई क्रेन मशीन हूबहू वैसे ही कार्य करती है जैसे एक बडी मशीन । अभिषेक की मानें तो वह घण्टे भर में

जलियावाला बाग कांड : एक ऐसी घटना जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर सबसे अधिक प्रभाव डाला

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आलेख - अनुज हनुमत   13 अप्रैल को देश भर में वैसाखी का त्यौहार बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है, लेकिन 1919 का जलियांवाला बाग़ काण्ड भी इसी दिन से जुड़ा हुआ है, जिसने समूचे भारत को हिला कर रख दिया था। जलियांवाला बाग अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के पास का एक छोटा सा बगीचा है, जहां 13 अप्रैल 1919 को ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर के नेतृत्व में अंग्रेजी फौज ने गोलियां चला के निहत्थे, शांत बूढ़ों, महिलाओं और बच्चों सहित सैकड़ों लोगों को मार डाला था और हज़ारों लोगों को घायल कर दिया था। अंग्रेजी सेना की कार्रवाई के बाद दो दिनों तक इन शहीदों के शव घटना स्थल पर ही पड़े रहे| जिसके बाद बाग़ से 1200 से 1500 लोगों के शव बरामद किये गए, जबकि बाग़ के कुँए से कम से कम 120 लाशें निकाली गई|   यदि किसी एक घटना ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर सबसे अधिक प्रभाव डाला था, तो वह घटना यह जघन्य हत्याकाण्ड ही था। इसी घटना की याद में यहां पर स्मारक बना हुआ है। गोलीबारी में हुए मृत लोगों की संख्या को लेकर विवाद है। नरसंहार की ब्रिटिश जांच के बाद जो आंकड़े जारी हुए, उसके अनुसार मृतकों की संख्या 379

कांग्रेस सरकार की असफलता का जीता जागता स्मारक : बुन्देलखण्ड की बरगढ़ ग्लास फैक्ट्री

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"दशकों  से बंद है बुन्देलखण्ड की इकलौती ग्लास फैक्ट्री"   बरगढ़ / चित्रकूट        देश का एक ऐसा हिस्सा जहाँ का प्रत्येक गाँव भूख और आत्महत्याओं की दुःख भरी कहानियों से भरा पड़ा है । बुन्देलखण्ड के विकास पर पानी की कमी , भूमि अनुपजाऊ और जनप्रतिनिधियों की असक्रियता तीनों एक साथ प्रहार करते आये हैं । ऐसी ही दशकों पुरानी एक कहानी  बुन्देलखण्ड की इकलौती ग्लास फैक्ट्री की है जिसका शिलान्यास दशकों पहले कांग्रेस की सरकार में हुआ था लेकिन आज तक ये चालू नही हो पाई । जिससे पाठा सहित बुन्देलखण्ड के हजारों मजदूरों का नुकसान हुआ ।  राज्य मिनरल्स डेवलपमेंट कार्पोरेशन के अंतर्गत आने वाली ये फैक्ट्री चित्रकूट जिले के बरगढ़ क्षेत्र में आती है जिसका शिलान्यास सन 1987 में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कर कमलों द्वारा हुआ था । बुलेट प्रूफ कांच बनाने वाली बुन्देलखण्ड की इस इकलौती ग्लास फैक्ट्री बरगढ़ का निर्माण उप्र राज्य खनिज विकास निगम (यूपीएस एमडीसी) द्वारा सन 1988 में कुछ प्राइवेट सेक्टर के उद्योगपतियों के सहयोग से प्रारम्भ किया गया था । इस फैक्ट्री के निर्माण में प्र