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Showing posts from April, 2018

#VisitMountAbu / चंद्रावती - "हजारों वर्ष पुराना ऐसा शहर जो आज भी जिंदा है...."

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  आप कल्पना भी नही कर सकते हैं कि हजारो वर्ष पुराना एक ऐसा शहर भी है जो गांव के रूप में जिंदा है । यकीन करना मुश्किल है लेकिन ये एक ऐतिहासिक सत्य है । राजस्थान के छोटे से जिले सिरोही के नगर पंचायत आबू रोड से महज 6 किमी दूर स्थित है वर्तमान का चंदेला गांव । जी हां इसी गांव में हजारो वर्ष पूर्व परमार राजवंश का पूर्ण वैभव समेटे चंद्रावती शहर हुआ करता था । इतिहासकार मानते हैं कि वो समय परमार वंश के पूर्ण वैभव का समय था । मैं भी इतिहास का छात्र रहा हूँ जिस कारण जब भी कहीं  घूमने जाता हूँ सबसे पहले ऐतिहासिक तथ्यों की खोज में लग जाता हूँ । इसी तरह जैसे ही मैं माउंट आबू की यात्रा में निकला दिमाग मे कई ऐतिहासिक तथ्यों से भरे स्थान अपनी कहानी बयां कर रहे थे । जैसे ही आबू रोड पहुँचे सबसे पहले चंद्रावती की तरफ ध्यान गया । फिर क्या माउंट आबू पर्वत चढ़ने से ही पहले बैग उठाया और निकला पड़ा उस शहर की तलाश में जिसका अस्तित्व हजारो वर्ष पहले हुआ करता था । लेकिन आज सिर्फ वहाँ खंडहर और टूटी फूटी मूर्तियां ही शेष हैं । चंद्रावती - आबू रोड से 6 किमी. दूर चंद्रावती परमारों का शहर था। इसका वर

#Visit Mount Abu - विंध्य से अरावली की पहाड़ियों तक का सफर ...कुछ खास है

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यात्रा वृतांत - विंध्य की पहाड़ियों से अरावली की दुर्गम पहाड़ियों तक कुछ खास है .... चारो तरफ फैली प्राकृतिक शांति यूँ तो मेरी उम्र का काफिला 24 के पड़ाव तक पहुंच चुका है लेकिन घूमने का शौक शायद इससे भी पुराना है । अभी तक भारत देश के हजारो किमी रास्ते का सफर तय कर चुका हूं । जिंदगी में सिर्फ एक यही 'घूमने' का शौक है जिसमे कदम बढ़ाने के बाद कभी थकावट महसूस नही होती । हमेशा किताबो में पढ़ा करता था कि ऊंची ऊंची पहाड़ियों में बसने वाला जीवन बहुत ही सुंदर और सभ्य होता है।  वैसे तो मैं भी विंध्य की ऊंची ऊंची पहाड़ियों से घिरे #पाठा इलाके का निवासी हूँ । लेकिन बावजूद इसके शायद यही कारण है कि मुझे इन पहाड़ो ने हमेशा अपनी तरफ खींचा है । चाहे उत्तराखण्ड की यात्रा रही हो , चाहे मध्य प्रदेश -छत्तीसगढ़ की या फिर राजस्थान की यात्रा -हमेशा पहाड़ी इलाकों की खूबसूरती ने यहाँ की शांति ने अपनी ओर खींचा है । अचानक से माउंट आबू जाने का प्लान बना । राजस्थान प्रदेश का इकलौता हिल स्टेशन माउंट आबू । फिर क्या इंटरनेट में जांच पड़ताल शुरू । वैसे तो बचपन से लेकर अभी तक माउंट आबू का जिक्र सिर्फ किताबों म

चित्रकूट - खाकी का मिला सहारा , अब कोमल भी जा सकेगी स्कूल ...

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कहते हैं कि अगर आपके सपने पूरे हो जाये तो इससे खुशी की कोई दूसरी बात नही होती । ऐसा ही कुछ हुआ आज कु. कोमल के साथ जिसने शायद पढ़ने की आस अब छोड़ ही दी थी ।लेकिन आज खाकी के एक छोटे से प्रयास ने कोमल की निराश जिंदगी को फिर से एक मौका दे दिया है अब वो हस सकेगी,आगे पढ़ सकेगी । आज थाना समाधान दिवस के अवसर पर थाना मानिकपुर में अपर पुलिस अधीक्षक चित्रकूट बलवंत चौधरी  की अध्य़क्षता में तथा एसडीएम मानिकपुर दुर्गेश मिश्र एवं प्रभारी निरीक्षक केपी दुबे की उपस्थिति में जन-शिकायतें सुनी जा रही थी कि इसी बीच थाना मानिकपुर अन्तर्गत ग्राम सकरौंहा के रामदीन कुशवाहा की पुत्री कु0 कोमल अपनी शिकायत लेकर आयी कि उसके पिता उसे पढ़ने लिखने से मना कर रहे है ।  जबकि कु0 कोमल द्वारा इण्टरमीडिएट की परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त किये गये थे । उक्त बच्ची ने प्रार्थना पत्र के माध्यम से अवगत कराया है कि उसे 02 वर्षों से उसके पिता द्वारा कपडे  नहीं दिलाये गये हैं । इससे स्पष्ट है कि शासन की मन्शा के अनुसार बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ के आदेश के क्रम में कु0 कोमल के पिता द्वारा जानबूझकर अपनी बेटी को पढ़ाने से इंकार किया जा र

चित्रकूट - एक अदद पुल की आस में पथरा गईं दो पीढ़ियों की आंखें , पढिये ये रिपोर्ट

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  रानीपुर / मानिकपुर / चित्रकूट  मुख्यालय से लगभग 50 किमी की दूरी पर बसे रानीपुर-गिदुरहा गांव के ग्रामीणों को सबसे ज्यादा मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है । गाँव को एक अदद पुल की आवश्यकता है जिसकी आस में दो पीढियो की आंखें पथरा गईं । पुल न बने होने की वजह से हजारो लोगो को रोजाना मुसीबत का का सामना करना पड़ता है । पुल के नाम पर वर्षो पहले एक लेपिकरण अभियान के तहत छोटा सा पुल बनाया गया था जो बनते ही बह गया था । गांव के लोगों का कहना है कि आज आजादी के 70 साल बाद हमे लगता ही नही की हम आजाद हैं । एक ही समस्या के लिए कई पीढ़ियों से हम आस लगाए बैठे हैं लेकिन कोई सुनने वाला नही । अब तो शासन और प्रशासन दोनों से विश्वास उठ गया है । बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है । स्कूल में टीचर भी अपनी मर्जी से ही आते जाते हैं - डकैत प्रभावित क्षेत्र होने का टैग जो लगा है हमारे गांव के ऊपर । फिलहाल सरकार के तमामं दावों की पोल खोलता ये पुल बरसात के दिनों में प्रशासन के लिए भी चुनौती साबित होता है । इस गांव में पुल न बने होने की वजह से एम्बुलेंस भी नही आती । ऐसे में मरीज को जैसे टांगकर/गोद मे उठाकर लाया