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Showing posts from 2016

सुख,शान्ति एवं समृध्दि की मंगलकामनाओं के साथ......

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...!.ॐ.! ... शुभं करोति कल्याणं, आरोग्यं धन सपदा | शत्रु बुद्धि विनाशाय, दीप ज्योति नमोस्तुते || सुख,शान्ति एवं समृध्दि की मंगलकामनाओं के साथ आप एवं आपके परिजनो को आंग्ल नव वर्ष (ग्रिगेरियन नववर्ष) की हार्दिक शुभकामनाएं।। ॥ॐ।। दोस्तों जब हमारी हवा से लेकर हमारी हाँ तक में अंग्रेजियत झलकती है तो फिर हम इस अंगरेजी नववर्ष को मनाने में क्यों हिचकिचाते हैं ? अगर कुछ करना ही है तो वास्तव में अपनी हिन्दू संस्कृति को। पहचाने और उसे धारण करें तब जाकर गर्व से हिन्दू नववर्ष चैत्र प्रतिपदा मनाएं । अपनी संस्कृति को मजबूत करें और उसे अपनाएं .... आपका अनुज हनुमत

सैकड़ों वर्ष पुराने थाने को शहीद स्थल के रूप में विकसित कराने हेतु कैबिनेट मंत्री को मानिकपुर विकास मोर्चा ने सौंपा ज्ञापन

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मानिकपुर /चित्रकूट      विधानसभा चुनावों से ठीक पहले जिले के दौरे पर आये उप्र सरकार के कैबिनेट मंत्री व जिले के प्रभारी मंत्री ब्रह्माशंकर त्रिपाठीे आज दोपहर पाठा की धरती पर पधारे जहाँ पार्टी के कार्यकर्तायों ने उनका जोरदार स्वागत किया । इस मौके पर मानिकपुर विकास मोर्चा के संस्थापक अनुज हनुमत ने मानिकपुर में स्थित स्वतंत्रता संग्राम के समय के सैकड़ों वर्ष पुराने 'थाने' को जल्द से जल्द सहेजते हुए 'शहीद स्थल' के रूप में विकसित कराने हेतु ज्ञापन सौंपा । अनुज हनुमत ने कैबिनेट मंत्री को ज्ञापन के माध्यम से जानकारी देते हुए बताया कि ये पुराना थाना सैकड़ों वर्ष पुराना है जिसका जिक्र सरकारी नक्शे (1906-09) में 684 नम्बर के अंर्तगत मानिकपुर थाना के नाम से है । ऐसे में यह स्थान सौ साल से अधिक पुराना है ।  उन्होंने बताया कि नगर के बुजुर्गों के अनुसार ये स्थान उससे भी अधिक पुराना है और इस स्थान में अग्रेंजों द्वारा हमारे देशभक्तों को फांसी भी दी जाती थी । लेकिन आज प्रशासन की उपेक्षा के कारण ये स्थान बदहाली का शिकार है । विकास मोर्चा के संस्थापक अनुज हनुमत ने ज्ञापन के माध्यम से नि

पाठावासियों ने धूमधाम से मनाया पूर्व प्रधानमंत्री व किसान नेता स्व. चौधरी चरण सिंह का जन्मदिवस

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मानिकपुर /चित्रकूट       आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री व किसान नेता स्व श्री चौधरी चरण सिंह का जन्मदिवस मानिकपुर नगर स्थित दैनिक जागरण के क्षेत्रीय कार्यालय में मनाया गया ।  कार्यक्रम के मुख्य अतिथि किसान नेता बालकृष्ण द्विवेदी ने कहा कि चौधरी चरण सिंह किसानों के सच्चे हितैषी थे और आज भी वो हमारे दिलों में हैं । कार्यक्रम संयोजक मानिकपुर विकास मोर्चा के संस्थापक अनुज हनुमत ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह एक युग के समान हैं । उन्होंने किसान हितों के लिए अपना पूरा जीवन बिता दिया । किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले और क्रांतिकारी बदलाव किये । अनुज हनुमत ने आगे कहा कि चौधरी चरण सिंह जी ने 1979 में वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक [ नाबार्ड ] की स्थापना की । जिसके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है । इस मौके पर नगर के वरिष्ठ पत्रकार राजेश त्रिपाठी ,युवा समाजसेवी ललित पांडेय , मनोज तिवारी,बलदेव ,रविकांत पांडेय, मनोज नामदेव ,डॉक्टर लतीफ़ खान ,शंकर दयाल गर्ग,विवेक तिवारी,

नोटबन्दी का 42वां दिन : एटीएम की लाइनों में तेजी से हो रही है कमी ..

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* चित्रकूट अपडेट : नोटबन्दी *   आज नोटबन्दी के फैसले का 42 वाँ दिन है । एक तरफ ग्रामीणों बैंको की हालत में ज्यादा सुधार होता नही दिख रहा है ।वहीं दूसरी ओर एटीएम की लाइनों में जरूर कमी आई है । एक सच्चाई ये भी है कि मौजूदा समय में जिला मुख्यालय में ज्यादातर एटीएमों में भी कैश की भारी किल्लत है । एचडीएफसी बैंक का एटीएम लगातार अपनी सेवाओं में मजबूती और तेजी बनाये हुए है । रिपोर्ट / * अनुज हनुमत *

मानिकपुर तहसील मुख्यालय में गरीबों को कैम्प लगाकर बांटे गए कम्बल

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मानिकपुर/चित्रकूट   पूरे उत्तर भारत में ठंड ने तेजी से अपने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं । गरीबों को ठंड के प्रकोप से बचाने हेतु प्रशासन भी मुस्तैद हो गया है । इसी क्रम में आज मानिकपुर तहसील मुख्यालय में कैम्प लगाकर कम्बल वितरण किया गया । अभी तक कुल 1285 कम्बल क्षेत्र के विभिन्न गांवों में बाँटने हेतु आये थे जिसमें से 500 कम्बल तहसील मुख्यालय में कैम्प लगाकर बांटे जा चुके हैं और बाकि 786 कम्बल विभिन्न गांवों में नोडल अधिकारियों और लेखपालों की देखरेख में बांटे जा चुके हैं । आज तहसील मुख्यालय में हुए कम्बल वितरण कार्यक्रम में एसडीएम सदर रामशंकर ,तहसीलदार राजू वर्मा ,नायब तहसीलदार राजेश विश्वकर्मा ,ओंकार सिंह ,अशोक कुमार , मानिकपुर विकास मोर्चा के संस्थापक अनुज हनुमत, राघवेंद्र तिवारी ,नीलकमल शुक्ला सहित दर्जनों लोग मौजूद रहे ।

कुम्भ नगरी प्रयाग (संगम) में साइबेरियाई पक्षियों का विहंगम दृश्य

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माघ मेला शुरू होने वाला और उससे ठीक पहले संगम में इस समय साइबेरियाई पक्षियों का अदभुत विहंगम दृश्य देखने को मिल रहा है । संगम में हर वर्ष आने वाले विदेशी सैलानियों की रौनक गंगा किनारे देखने मिलती है। विदेशी सैनालियों के इतर यहां हर वर्ष एक खास मेहमान भी आता है जो पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहता है। हर वर्ष साइबेरियन पक्षियों के प्रयाग के संगम तट पर जमघट देखने को मिलता है। साइबेरियन पक्षियों को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं। इन पक्षियों की खास बात यह है कि पर्यटक इन्हें नमकीन खिलाते हैं जिसे खाने के लिए यह झुंड में लोगो के पास आ जाते हैं। इस दृश्य को अपने कैमरे में कैद करने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं। फोटोग्राफ - अनुज हनुमत

जिंदगी और मौत के बीच की मजबूत कड़ी है हनुमत

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आज मैं आप सबको अपनी जिंदगी का वो दर्दनाक सच बताऊंगा जिसको याद करके मेरी आँखे आज भी आंसूओं से भर जाती है । जिंदगी के इसी हिस्से में मेरे नाम की सच्चाई भी छिपी है । ये पूरा वाकया मैंने अपनी आँखों से तो नही देखा लेकिन मेरे माता-पिता इसके गवाह हैं । उन्होंने जिस दिन मुझे पूरी कहानी बताई मेरे लिये वो सबसे ज्यादा भावुक पल था । जब पूरी दास्तां पापा और मम्मी ने बता डाली तो उनकी आँखों में भी आंसू आ गए थे । शायद उन्हें फिर वही सब याद आ गया था । मैं समझ चुका था कि ये खुशी के आंसू हैं न की दुःख के लेकिन उस वक्त ये सब समझने का वक्त नही बल्कि ये महसूस करने का समय था कि कैसे माता पिता अपने दुःखों को एक बगल रखकर अपने बच्चो (हमारे) के पालन पोषण में दिन रात एक कर देते हैं ।     जिंदगी के इस हिस्से पूरा सच मेरे आज के नाम #अनुज_हनुमत से जुड़ा है । ये बात तकरीबन 18 से 20 साल पुरानी है । मै उस वक्त निमोनिया की गिरफ्त में था और मेरी स्थिति बहुत गंभीर थी । तब घर की माली हालत भी बिल्कुल ठीक नही थी और ऐसे समय में मेरा नियमित ईलाज करा पाना संभव नही हो पा रहा था । एक तरफ मैं जिंदगी और मौत से खेल रहा था वहीं दूस

पाठा की ऐतिहासिक धरती पर पुरातत्व विभाग की टीम..

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  आज जन्मदिन से ठीक पहले एक और बेशकीमती उपहार मिला । इस बार उपहार लखनऊ से आई पुरातत्व विभाग की टीम ने दिया । पाठा की पावन और ऐतिहासिक धरती "मानिकपुर सरहट" में पुरातत्व विभाग की टीम ने आस पास के क्षेत्रों में मौजूद #पुरापाषाणकालीन_शैलाश्रयों का सर्वेक्षण किया । इस मौके पर उन्होंने दर्जनों स्थानों का निरीक्षण किया और इस खोज के लिए उन्होंने धन्यवाद भी दिया । आज सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण सहयोग श्रीमान शिवशंकर कंचनी जी का मिला जिनका समय समय पर मार्गदर्शन प्राप्त होता रहता है और इस खोज में भी महत्वपूर्ण योगदान है ।  इस मौके पर मानिकपुर विकास मोर्चा की पूरी टीम उपाध्यक्ष और सभासद वीरेंद्र डोंगरा जी के नेतृत्व में उपस्थित रही ।    गौरतलब हो कि विगत कई दिनों पहले मानिकपुर सरहट में मुझे सघन निरीक्षण के दौरान कुछ स्थानों पर हजारों साल पुराने 'पुरापाषाणकाल शैलचित्रों' के निशान मिले । जिसके बाद मैंने फौरन पीएमओ में तमाम चित्रों सहित ऐसे स्थानों को सरंक्षित करने हेतु पत्र लिखा जिसके बाद पुरातत्व विभाग ने फौरन संज्ञान लेते हुए आज लखनऊ से तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय टीम भेजी । वास्तव में आ

मेरा पत्र - "अब सहन नही होता ,कुछ तो करिये प्रधानमन्त्री जी..........!"

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     प्रिय प्रधानमन्त्री ,              हमारा पड़ोसी देश 'आतंकवाद' का रास्ता अपनाकर लगातार हमारे जवानों को मौत की नींद सुला रहा है और हमारे देश के स्वाभिमान का लगातार बलात्कार करने पर अमादा है । ऐसे वक्त में जब आपका व्यक्तित्व पूरे विश्व को शांति का एक नया सन्देश दे रहा है ऐसे में अपने ही देश में अशांति क्यों ? सवा सौ करोड़ देश की जनता को आप पर विश्वास है की पड़ोसी मुल्क के घृणित कार्यों पर आप लगाम लगाएंगे । लेकिन एक बात समझ नही आती की ऐसे समय में जब देश की सभी राजनीतिक पार्टियों को एक मंच पर आकर आतंकवाद से निपटने के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए  लेकिन ऐसी स्थिति में भी हमारे देश के अधिकांश नेताओं की 'मर्दानगी' सियासी कुर्सी के लालच में चूड़ियाँ पहनकर बैठ जाती है ।125 करोड़ भारतीय हैं 'हम' चाहे तो हमारी एक हुंकार से पड़ोसी देश में सुनामी आ सकती है । लेकिन हमारे यहाँ की आपसी राजनीतिक नूराकुश्ती के सियासी बुखार ने विश्व के सबसे मजबूत 'भारतीय लोकतंत्र' को भी बीमार कर रखा है । सर, तमाम सोशल साइट्स में  अधिकांश लोगो द्वारा आपको युद्ध की सलाह दी जा रही

विंध्य रेंज की एक विशिष्ट पुरापाषाणिक संस्कृति खत्म होने की कगार पर

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  चित्रकूट से तीस किलोमीटर दूर मानिकपुर के पास सरहट नामक स्थान पर प्राचीनतम शैलचित्र भारी संख्या में मौजूद हैं। ये तीस हजार साल पुराने बताए जाते हैं। पहले मैं भी मानता था की ये महज कुछ चित्रों का समूह बस है लेकिन इनका विस्तृत अध्ययन करने के बाद लगा की ये तो पाठा की पाषाणकालीन संस्कृति है जो बहुत बड़े विस्तृत क्षेत्र में फ़ैली हुई है । सरहट के पास ही बांसा चूहा, खांभा, चूल्ही में भी इस तरह के शैलचित्र मिलते हैं। सरहट के 20 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में करपटिया में 40 शिलाश्रयों का समूह दर्शनीय है। यहां बिखरीं पड़ीं धरोहरें इतिहास के कालखंडों के रहस्यों को अपने गर्भ में छिपाए हैं।ये शैलचित्र यहां की प्राचीन शैली के गवाह हैं, पर संरक्षण के अभाव में ये जीवंत दस्तावेज विलुप्त होने के कगार पर है। इतिहासविद् शैलचित्रों के आरंभ को ईसा पूर्व से ही जोड़ते हैं। यह देखना आश्चर्यजनक है कि इन पेंटिंग्स में जो रंग भरे गए थे वो कई युगों बाद अभी तक वैसे ही बने हुए हैं. इन पेंटिंग्स में आमतौर पर प्राकृतिक लाल ,गेरुआ और सफेद रंगों का प्रयोग किया गया है। प्राचीन इतिहास का छात्र होने के नाते जहा

महोदय , अब तो बनवा दीजिये पुल..

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मानिकपुर /चित्रकूट       पिछले दिनों आई बाढ़ ने पाठावासियों की कमर तोड़ दी । जिंदगी ने चलना तो शुरू कर दिया है लेकिन बाढ़ के बाद उस दर्द और खौफ के साथ जिसे सोंचकर दिल दहल जाता है । पाठा के जिन गाँवों में बाढ़ की विभीषिका ने तांडव रचा आज वहां जीवन सामान्य हो चला है । जिलाधिकारी महोदय के निर्देश पर टूटे रपटों पर मिट्टी और गिट्टी तो डलवा दी गई जिससे दर्जनों गाँवों का आवागमन तो शुरू हो गया लेकिन रानीपुर-गिदुरहा गाँव अभी भी शासन और प्रशासन की सहायता के इन्तजार में बैठा है । प्रशासन ने गाँव वालों के लिए अभी 'नाव' की वैकल्पिक व्यवस्था कर रखी है लेकिन अभी भी स्थिति सामान्य नही हुई है । बाढ़ के कारण नदी पर बना पुल टूट चुका है जिसके कारण रानीपुर गिदुरहा गाँव के लोगो को अभी भी भारी मुसीबतो का सामना करना पड़ रहा है । बाढ़ ने क्षेत्र में हुए विकास की पोल भी खोल दी है । तयशुदा मानक का प्रयोग किये बिना बनाई गई सड़के,रपटे और पुल बाढ़ के पानी में बह गए हैं । सबसे ज्यादा दिक्कत रानीपुर गिदुरहा गाँव के ग्रामीणों को हो रही है । ग्रामीणों ने गाँव आने वाले प्रशासन के अधिकारीयों और जनप्रतिनिधियों से अपील

विशेष: 01 अगस्त का है अपना ऐतिहासिक महत्व ! पढ़िए क्यों है खास ..

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आप को जानकर हैरानी होगी की बारह महीनो में एक ऐसा भी महीना है जिसका पहला दिन ही अपने आगोश में कई इतिहास समेटे हो । जी हाँ ऐसा ही महीना है 'अगस्त' और इसकी पहली तारीख ही भारतीय एवं विश्व इतिहास में अपना अलग महत्व रखती है ।दरअसल 1 अगस्त का अपना ही एक खास महत्व है। इस दिन कई ऐसी घटनाएं घटी जो इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज होकर रह गईं हैं। आइये जानें ऐसी कौन कौन सी घटनाये हैं जो भारतीय एवं विश्व इतिहास में 1 अगस्त की तारीख में दर्ज हुई - 1 अगस्त 1831: लंदन ब्रिज को यातायात के लिए खोल दिया गया। 1 अगस्त 1883: ग्रेट ब्रिटेन में अंतर्देशीय डाक सेवा शुरु की गई। 1अगस्त 1914 - प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत, जर्मनी द्वारा रूस। 1 अगस्त 1916: महिला अधिकारों की सर्मथक तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष एनी बेसेंट ने होम रूल लीग की शुरुआत की। 1 अगस्त 1920: महात्मा गांधी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रदत्त केसर ए हिंद पुरस्कार को लौटाया। 1 अगस्त 1920: महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की। 1 अगस्त 1953: देश में सभी एयरलाइंसों का हवाई निगम अधिनियम के तहत राष्ट्रीयकरण क