पाठा_का_संघर्ष : पाठा के विकास के लिए अंतिम साँस तक जारी रहेगा संघर्ष


 #पाठा_का_संघर्ष :पाठा क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं । हमारी मुहीम को बड़ी मात्रा में पाठावासियों का जनसमर्थन भी प्राप्त होना शुरू हो गया है । मीडिया (प्रिंट + इलेक्ट्रॉनिक + न्यू मीडिया) का अभूतपूर्व सहयोग प्राप्त हो रहा है । स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को और ज्यादा संवेदनशील होने की जरूरत है क्योंकि बिना आपके समर्थन के मंजिल प्राप्त नही की जा सकती । पाठा में पर्यटन का जितना विकास होगा उतना पाठा का विकास होगा । जहाँ मानव सभ्यता का शुरुआती विकास हुआ हो वो पाठा की पावन भूमि किसी से पिछड़ी क्यों रहे । उसे हक आगे बढ़ने का - उसे हक है उन तमाम सुविधाओं को हासिल करने का जिसे आज आजादी के 70 साल बाद भी हासिल नही कर पाए । हमारा संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक पाठा को उसका हक नही मिल जाता ।  

ये एक महज चित्र (शैलचित्र) की कहानी नही है बल्कि ये पाठा में पनपी एक बड़ी पुरापाषाणकालीन संस्कृति है और जैसे सिंधु घाटी सभ्यता की खोज बहुत बाद में हुई लेकिन आज वह श्रेष्टतम मानव संस्कृतियों में से एक है ।उसी प्रकार पाठा की ये संस्कृति भी तमाम रहस्य समेटे हुए है और समकालीन पाषाण संस्कृतियों में सबसे आगे निकल सकती है ।

पाठा संस्कृति के ये तमाम अवशेष इसलिए भी नष्ट हो सकते है क्योंकि इससे एक किमी दूर ही खनन माफियो द्वारा अवैध रूप से वोल्डरों का खनन जारी है । इसलिये सरकार इसे तुरन्त सरंक्षित क्षेत्र घोषित करें । वैसे इन शैल चित्रों के माध्यम से आने वाली पीढ़ी एक नई कला को जन्म दे सकती है । यह खोज युवा पीढ़ी की खोज है जिसने ये साबित कर दिया की किताबों में लिखे पुरातात्विक ध्वंसावशेष आज भी जीवित अवस्था में है ।

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट की पावन धरती भारत के मानचित्र पर धार्मिक केंद्र के रूप में तो प्रसिद्द ही थी लेकिन अब बड़े पुरातात्विक स्थलों के रूप में भी स्थान बनाने जा रही है । इसका सबूत है चित्रकूट की धरती पर भारतीय पुरातत्व विभाग के लगातार दो दौरे , जो आने वाले समय में निःसन्देह चित्रकूट के लिए ऐतिहासिक होंगे । 

◆ धन्यवाद

अनुज हनुमत
मानिकपुर विकास मोर्चा 
#पाठा_का_संघर्ष

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