#मेरी कलम से :जब पुलिस के आला अफसर ने रखा बुन्देलखण्ड के सबसे पिछड़े इलाके में कदम और तब ..

  #मिलनसार_IPS : दो दिन पहिलेअपर पुलिस महानिदेशक (इलाहाबाद जोन) एस. एन. साबत चित्रकूट दौरे पर आये थे । अपने आला अधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद वो बुन्देलखण्ड के सबसे संवेदनशील (दस्यु प्रभावित इलाका) क्षेत्र बहिलपुरवा पहुंचे जहां जाने से लगभग हर विभाग का आला अधिकारी एक बार सोंचता है ।  अधिकारी ही नही बल्कि जनप्रतिनिधि भी इस क्षेत्र में यदा कदा ही जाते हैं । उन्होंने क्षेत्र का दौरा ही नही किया वरन चौपाल लगाकर ग्रामीणों की समस्याएं सुनी और प्राथमिक विद्यालय में जाकर बच्चो से भी रूबरू हुए । पूरे दौरे के दौरान लगातार मैं उनके साथ रहा ।

मुझे सबसे ज्यादा जिस पल ने प्रभावित किया वो था उनका बच्चो को क्लास में जाकर पढ़ाना । क्लास में टीचर द्वारा उस वक्त ऑक्सीजन और नाइट्रोजन के बारे में पढ़ाया जा रहा था । उन्होंने बच्चो से कई प्रश्न किये जिसका पाठा के बच्चो ने बखूबी जवाब दिया । उन्होंने जब बच्चो से पूछा की आप कितनी दूर से स्कूल आते हो तो कुछ बच्चो ने बताया कि 8-10 किमी से पैदल पढ़ाई के लिए आते हैं । बच्चो की बाते सुनकर वो काफी प्रभावित हुए । उन्होंने फिर पूरे 10 मिनट तक बच्चो को श्यामपट में लिखकर समझाते हुए पढ़ाया भी । बच्चो के साथ वो जितने वक्त भी क्लास के अंदर थे लगा ही नही कि पुलिस विभाग का इतना बड़ा अफसर है बल्कि पूरे समय वो शिक्षक की तरह ही बच्चो से रूबरू होते रहे ।

 किसी भी अधिकारी के स्वाभाव में सरलता , सहजता और समन्वय का ऐसा मिश्रण बहुत कम देखने को मिलता है । पुलिस महकमे के इतने बड़े अधिकारी का दौरा तो खत्म हो गया लेकिन आने वाले दिनों में इसके क्या मायने होगे ये तो बाद  में पता लगेगा बहरहाल इस दौरे ने जनता की सुरक्षा के प्रति पुलिस की प्राथमिकता को जरूर मजबूत किया है । ये महज कोई संयोग नही है कि जिस इलाके में पिछले कुछ दिनों से लगातार डकैतो का प्रचण्ड खौफ देखने को मिल रहा था वहां आज अचानक पुलिस महकमे का आला अधिकारी पूरी फ़ोर्स के साथ पहुंचा । पुलिस की लगातार कार्यवाही से पहले ही डकैतो की हालत खराब है और ऐसे में इस दौरे ने पुलिस को एक कदम और आगे कर दिया है ।


 बहिलपुरवा चित्रकूट जिले का ऐसा क्षेत्र है जो विकास की मुख्य धारा से कोसो दूर है । आज भी इस क्षेत्र में कोई अस्पताल नही है । स्वास्थ्य सेवा इतनी लचर है कि अगर किसी की तबियत अचानक ख़राब हो जाये तो उसका बचना मुश्किल हो जाता है । गांव में अस्पताल न होने का विषय गाँव के लोगो ने चौपाल के दौरान उठाया । एडीजी एस एन साबत को सुनकार काफी आश्चर्य हुआ की इतने बड़े क्षेत्र में अस्पताल नही है ।

अब प्रश्न ये है कि वो  तमाम जनप्रतिनिधि चुनाव के बाद किस बिल में घुस जाते हैं कि उन्हें बहिलपुरवा जैसे क्षेत्रों के विकास की कोई सुध नही रहती । पूरे क्षेत्र में कोल आदिवासी जाति के लोगो की संख्या अधिक है जो ज्यादा शिक्षित नही हैं । बेरोजगारी का आलम ये है कि यहाँ की ज्यादातर महिलाएं जंगलो से लकड़ी काटकर उसे पास के शहर में बेचकर परिवार का पालन पोषण करती हैं और ज्यादातर पुरुष इसी पैसे का नशा कर लेते हैं और फिर पूरा दिन धुत्त रहते हैं । बहिलपुरवा क्षेत्र का फैलाव काफी बड़ा है । गाँव काफी दूर दूर बसे हैं । मूलभूत सुविधाओं के नाम पर पिछले 70 वर्षों में जनता को निराशा ही हाथ लगी है फिर भी लोगो को आशा है कि विकास होगा , सुविधाएँ पहुंचेगी !

काफी निराशा होती है ऐसे दृश्यों को देखकर लेकिन फिर एक तस्वीर पुनः शरीर को ऊर्जावान बना देती है । श्यामपट्ट में लिखा है - " कर्म ही पूजा है " .... । मैं ह्रदय से धन्यवाद देना चाहूंगा चित्रकूट के तेजतर्रार पुलिस अधीक्षक श्रीमान प्रताप गोपेन्द्र को जिन्होंने एडीजी साहब का ऐसे क्षेत्र में दौरा सुनिश्चित किया । ऐसे दौरे क्षेत्रवासियों के दिमाग पर असर डालते हैं और उन्हें महसूस कराते हैं कि देश का लोकतंत्र उनके साथ मजबूती से खड़ा है । #पाठा_क्षेत्र

 √अनुज हनुमत
विशेष संवाददाता
बुन्देलखण्ड न्यूज & बुन्देलखण्ड कनेक्ट मासिक पत्रिका

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