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Showing posts from May, 2016

मानिकपुर में नगरवासियों ने पानी के लिए किया चक्का जाम

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दिनांक -30/05/2016 🏾 मानिकपुर (चित्रकूट)। पाठा की धरती सूखे की सबसे ज्यादा मार झेल रही है ऐसे में आम जनमानस पानी की एक एक बूँद को तरश रहा है । भगवान के साथ स्थानीय प्रशासन भी आँखे बंद किये बैठा है । आज पाठावासियों का धैर्य जवाब दे गया और नगर के ही तीन युवाओं वरुण गौतम , मुकेश अग्रहरी और अनुज हनुमत द्विवेदी के नेतृत्व में पानी के लिए सैकड़ों नगरवासियों ने सरकारी अस्पताल के सामने अपने अपने पानी के खाली बर्तन,डिब्बों के साथ  मानिकपुर कर्वी संपर्क मार्ग पर जाम लगा दिया । नगरवासियों का ये विरोध प्रदर्शन तकरीबन 45 मिनट चला । आखिर में मानिकपुर तहसील के नायब तहसीलदार और मानिकपुर थानाध्यक्ष मौके पर पहुंचे और नायब तहसीलदार ने भरोसा दिलाते हुए उन्होंने नगर के उन वार्डों में जल्द टैंकर भिजवाने की बात कही जहाँ पानी की सबसे ज्यादा दिक्कत है और कहा की मैं आज ही इस विषय पर जेई से बात करूँगा । मुझे हफ्ते भर का समय दीजिए । नगरवासियों ने पानी की समस्या को जल्द से जल्द दूर करने के लिए ज्ञापन भी दिया। इस मौके पर अनुज हनुमत द्विवेदी ने कहा की इस समय नगर के कुछ वार्डों में तो बूँद बूँद पानी के

वरुण गांधी हो सकते हैं भाजपा से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार !

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  🏼 अगले साल यूपी में विधानसभा चुनाव हैं जिसकी तपिश प्रदेश में अभी से दस्तक देने लगी है और सभी पार्टियों ने लगभग अपने मुख्यमंत्री पद के चेहरे सामने ला दिए हैं पर भाजपा और कांग्रेस ने अभी तक चेहरे से पर्दा नही उठाया है । आज चुनावी ठप्पा के इस भाग में हम कोशिश करेंगे उन सभी संभावानाओं को तलाशने की जिससे ये समझा जा सके आखिर आने वाले चुनाव में पार्टी किस चेहरे पर अपना दांव खेल सकती है ।      अगर भाजपा यूपी में आने वाले चुनावों में मुख्यमंत्री पद के लिए स्मृति ईरानी को अपना चेहरा बनाती है तो परिणाम दिल्ली जैसे होंगे और हाल बिहार जैसे । क्योंकि स्मृति ईरानी यूपी के लिए अभी भी एक नया सियासी चेहरा ही होंगी लेकिन कुछ लोगो का कहना है की अगर स्मृति ईरानी को आगे किया जाये तो महिलाओं के वोट बैंक में सबसे ज्यादा सेंध लगाई जा सकती है और यूपी की बाजी मारी जा सकती है पर क्या यूपी में केवल महिलाएं ही सियासत की कुर्सी तक किसी भी पार्टी को पहुंचा देंगी ऐसा मुमकिन नही लगता है । क्योंकि ऐसी स्थिति में दूसरी महिला उम्मीदवार खुद बसपा सुप्रीमों मायावती ही होंगी जिन्हें भी ये बात भलीभांति पता है की अक

सूखे के कारण 'कमल की जड़' खाने को मजबूर किसान

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            सुना था जब किसी के ऊपर किसी आपदा की दोहरी मार पड़ती है तो वह बिल्कुल ही अकेला पड़ जाता है और अंदर से टूट जाता है । लेकिन इसके बावजूद भी वह उस आपदा से लड़ना नही भूलता क्योंकि उसे पता है की जिंदगी कितनी अनमोल उपहार है । शायद इसका जीता-जागता उदाहरण है हमारे देश का 'किसान' । जो मौजूदा समय में अपने जीवन में दोहरी मार झेल रहा है एक तो ईश्वर की सूखे की मार जो बढ़ते तापमान के साथ बढ़ती जा रही है और दूसरा प्रशासन की उपेक्षा जिसे किसान हमेशा ही चुनावी रसगुल्ला लगा है जिसे हर साल लगभग इसी प्रचंड गर्मी में उपयोग किया जाता है । लेकिन किसान जिसने अपनी कृषि से भारत की अर्थव्यवस्था को थाम रखा है उसकी ऐसी बदहाल हालत आगे के समय के लिए ठीक नही । वैसे तो पूरा देश भीषण सूखे से जूझ रहा है लेकिन बावजूद इसके कुछ किसान ऐसे हैं जो अपने अस्तित्व के लिए जिदंगी से लगातार लड़ रहे हैं । ऐसे ही एक संघर्ष की कहानी बुन्देलखण्ड के चित्रकूट जिले की है जहाँ मऊ तहसील के खंडेहा गाँव के कुछ किसान 'कमल के फूल की जड़' खाने को विवश हैं । लगातार तापमान बढ़ने के कारण पानी के सारे स्रोत ख़त्म हो रहे हैं। ग

बुन्देलखण्ड में भूखे बच्चे और मध्यान्ह भोजन

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चित्रकूट 22 मई ।   सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया कि देश के सभी सूखाग्रस्त जिलों में मई-जून में छुट्टी के दिनों में सभी सरकारी विद्यालयों के बच्चों को मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था की जाये । जिसके बाद फ़ौरन यूपी सरकार हरकत में आई और सूखाग्रस्त जिलों के सभी बीएसए को इस बाबत योजना को तत्काल प्रभाव से जारी करने के आदेश जारी कर दिये । सभी सरकारी विद्यालयों में 20 मई से छुट्टी हो चुकी है और शाम तक ये आदेश भी उपरोक्त जिलों में आ गया और 21 तारीख से आदेश जारी भी हो गये हैं लेकिन तमाम शिक्षक संगठनों द्वारा इसका विरोध भी शुरू हो गया है जिसमें उप्र प्राथमिक शिक्षक संघ द्वारा अग्रणी भूमिका निभाई जा रही है । संगठन का स्पष्ट तौर पर कहना है की शिक्षकों का कार्य पढाना है न की खाना खिलाना ।ये एक गैर शैक्षिणिक कार्य है और हाईकोर्ट ने भी कई बार आदेश जारी करते हुए कहा है की शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य न करायें जाएं ।  उप्र प्राथमिक शिक्षक संघ चित्रकूट जिले के जिलाध्यक्ष अखिलेश पाण्डेय का कहना है की ये एक अव्यवहारिक निर्णय है क्योंकि 20 मई तक विद्यालय बंद हो चुके हैं और तमाम बच्चे बाहर चले जाते हैं फिर इन छुट

रोड नही तो 'वोट' नही...........

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Add caption      मानिकपुर (चित्रकूट):  देश की आजादी को सत्तर वर्ष पूरे होने को हैं और आज भी हमारे देश के ऐसे बहुत से गाँव हैं जहाँ बिजली और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएँ अभी तक नही पहुँची हैं ।ऐसा ही एक बुन्देलखण्ड का रानीपुर गाँव है जो चित्रकूट जिले के अंतर्गत आता है । जिला मुख्यालय से 40 किमी की दूरी पर स्थित यह गाँव इस लिए भी खास है क्योंकि गाँव के ग्रामीणों ने ठीक 27 वर्ष पहले सड़क निर्माण के लिए अपनी सीधी  लड़ाई तत्कालीन लोकतान्त्रिक व्यवस्था के विरुद्ध लड़ी थी । सन् 1989 में ग्राम रानीपुर के ग्रामीणों ने रानीपुर-कल्याणगढ़ से मानिकपुर तक संपर्क मार्ग के लिए तत्कालीन विधानसभा चुनाव का बहिस्कार किया था । तदोपरांत सम्पर्क मार्ग पास हुआ एवं निर्माण कार्य भी शुरू हुआ था लेकिन आज तक पूरा नही हुआ ।  आज उस लड़ाई को भले ही 27 वर्ष का समय हो गया हो पर आज भी उस गाँव की युवा पीढी को अपने बाबा-दादा के संघर्ष के दिन याद हैं और गाँव की इस मौजूदा युवा पीढी ने ठान लिया है की अब किसी भी हाल में ये सड़क निर्माण पूरा कराकर रहेंगे और वो भी 27 वर्ष पहले वाले तरीके से यानि 'रोड नही तो वोट नही ' क