प्रशासन मस्त ~जनता त्रस्त
यूं तो कहने को मेरा उप्र सँवर रहा है बदल रहा है पर शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जो प्रदेश भर की सड़को के हाल से संतुष्ट हो ? सबसे ज्यादा भ्रस्टाचार भी सड़कों के निर्माण में ही होता है। शायद जरूरी भी है क्योकि ज्यादातर ठेकेदारों को या तो चुनाव लड़ना होता है या तो राजनीती में मोटी रकम दानस्वरुप देनी होती है । सड़को का यही खस्ताहाल मेरे जिले चित्रकूट का भी है जहाँ दिखने में तो विकास की भरमार है पर सड़क और बिजली के मामले में जनता त्रस्त है । यहाँ की अधिकांश सड़के 'गड्ढे' में तब्दील हो चुकी हैं ।ऐसी सड़कों के उदाहरण बहुत हैं किस किस के नाम लिखे जाएँ पर किसी एक का जिक्र करना तो आवश्यक ही है। जिला मुख्यालय से 30 किमी दूर मानिकपुर नगर की एक और ख़ास सड़क है जो मौजूदा समय में तहसील मुख्यालय से होती हुई पास के कई गाँवों को जोड़ती है जिसकी सबसे ज्यादा खस्ता हालत कल्याणकेंद्र चौराहे से तहसील मुख्यालय तक है जिसकी लम्बाई महज डेढ़ किमी होगी । इस सड़क से महीने में एक बार जिलाधिकारी महोदय तो गुजरती ही हैं पर एसडीयम साहब और तहसीलदार तो रोजाना ही गुजरते हैं ऐसे में इन सभी प्रशासन के अलाधिकारियों को सड़क के