अच्छी पहल : वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये प्रशासन से ग्रामीण हुए रूबरू
चित्रकूट । जहां समूचे देश मे पीएम मोदी के महत्वाकांक्षी प्लान 'डिजिटल इंडिया' का प्रचार प्रसार तेजी से किया जा रहा है । वहीं एक बात ये भी सच है कि अभी भी इसकी पहुंच से सूदूर गांव के ग्रामीण दूर हैं । फिलहाल डिजिटल इंडिया के बढ़ते दायरे ने अधिकांश गांवो तक मोबाइल इंटरनेट की सेवा पहुंचा दी है । ऐसे में ग्रामीण इलाकों में हर हाथ मे मोबाइल की पहुंच होने से प्रशासन के साथ संवाद तेजी से बढ़ रहा है । ऐसी ही एक मुहीम के बारे में मेरे दिमाग मे स्वतः ही आया । मैंने फौरन जिलाधिकारी महोदय से बात की और बुन्देलखण्ड के अतिपिछड़े चित्रकूट जनपद में इसकी शुरूआट करने की सोंची । इस मुहीम में बड़ा सहयोग मिला जिलाधिकारी विशाख जी अय्यर और पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार झा का । दोनों ने मुहीम को अपनाते हुए सूदूर ग्रामीण इलाकों में बैठे ग्रामीणों से वीडियो कॉलिंग के तहत फेस टू फेस बात करते हुए उनकी समस्याएं जानी ।
समूचे सूबे में ये पहला मौका था की जब किसी जिले के ग्रामीण इलाके से ग्रामीणों ने मोबाइल की मदद से सीधे कई किमी दूर बैठकर जिलाधिकारी और एसपी से सीधा संवाद स्थापित करते हुए अपनी समस्याएं साझा की । इस नई और ऐतिहासिक मुहीम का साक्षी बना पाठा का वो इलाका जो आज भी मूलभूत सुविधाओ से जूझ रहा है । ऐसे में इस नए प्रयास ने ग्रामीणों के जूनून में जान फूंकने का काम किया है । जिलाधिकारी विशाख जी ने वीडियो कॉलिंग के दौरान ऊँचाडीह के कई ग्रामीणों से सीधे बात की और उनसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात की । इसी क्रम में पुलिस अधीक्षक मनोज झा ने भी डकैत के गढ़ में स्थित किहुनियाँ गांव में बैठे ग्रामीणों से कानून व्यवस्था सहित कई महत्वपूर्ण विषयों पर सीधा संवाद स्थापित किया । इस नई मुहीम से ग्रामीणों में खासा उत्साह है ।
बहरहाल जैसे आला प्रशासन आपस मे वीडियो कान्फ्रेसिंग के जरिये सूदूर क्षेत्रों से बैठकर आपस मे बात करते हैं ऐसे में इसी तकनीकी का प्रयोग सूदूर गांवो में स्थित ग्रामीणों से सीधा संवाद स्थापित करने में भी किया जा सकता है ।
एक समय था जब इसी चित्रकूट जिले में जनता और प्रशासन के बीच संवाद के नाम पर गहरी खाई थी । अंदाजा लगाइए खौफ और आतंक के गढ़ के तौर पर विख्यात चित्रकूट का बीहड़ जहां चारो ओर सन्नाटा पसरा रहा करता था वहां आज डिजिटल इंडिया ने सबकुछ बदलकर रख दिया है । प्रशासन को थोड़ा और मुहीम में तेजी लाने की जरूरत है जिससे बचे हुए सूदूर गांव भी पूरी तरह मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट की पहुंच से पूरी तरह जुड़ जाएं । निःसन्देह तभी देश आगे बढ़ेगा जब ग्रामीण इलाके भी देश की मुख्य धारा से जुड़ेंगे ।
रिपोर्ट - अनुज हनुमत
समूचे सूबे में ये पहला मौका था की जब किसी जिले के ग्रामीण इलाके से ग्रामीणों ने मोबाइल की मदद से सीधे कई किमी दूर बैठकर जिलाधिकारी और एसपी से सीधा संवाद स्थापित करते हुए अपनी समस्याएं साझा की । इस नई और ऐतिहासिक मुहीम का साक्षी बना पाठा का वो इलाका जो आज भी मूलभूत सुविधाओ से जूझ रहा है । ऐसे में इस नए प्रयास ने ग्रामीणों के जूनून में जान फूंकने का काम किया है । जिलाधिकारी विशाख जी ने वीडियो कॉलिंग के दौरान ऊँचाडीह के कई ग्रामीणों से सीधे बात की और उनसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात की । इसी क्रम में पुलिस अधीक्षक मनोज झा ने भी डकैत के गढ़ में स्थित किहुनियाँ गांव में बैठे ग्रामीणों से कानून व्यवस्था सहित कई महत्वपूर्ण विषयों पर सीधा संवाद स्थापित किया । इस नई मुहीम से ग्रामीणों में खासा उत्साह है ।
बहरहाल जैसे आला प्रशासन आपस मे वीडियो कान्फ्रेसिंग के जरिये सूदूर क्षेत्रों से बैठकर आपस मे बात करते हैं ऐसे में इसी तकनीकी का प्रयोग सूदूर गांवो में स्थित ग्रामीणों से सीधा संवाद स्थापित करने में भी किया जा सकता है ।
एक समय था जब इसी चित्रकूट जिले में जनता और प्रशासन के बीच संवाद के नाम पर गहरी खाई थी । अंदाजा लगाइए खौफ और आतंक के गढ़ के तौर पर विख्यात चित्रकूट का बीहड़ जहां चारो ओर सन्नाटा पसरा रहा करता था वहां आज डिजिटल इंडिया ने सबकुछ बदलकर रख दिया है । प्रशासन को थोड़ा और मुहीम में तेजी लाने की जरूरत है जिससे बचे हुए सूदूर गांव भी पूरी तरह मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट की पहुंच से पूरी तरह जुड़ जाएं । निःसन्देह तभी देश आगे बढ़ेगा जब ग्रामीण इलाके भी देश की मुख्य धारा से जुड़ेंगे ।
रिपोर्ट - अनुज हनुमत
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