विश्व आदिवासी दिवस : "आजादी के 70 वर्ष बाद भी पाठा का आदिवासी क्षेत्र विकास की मुख्य धारा से नही जुड़ा" ।कभी आपने सोंचा ऐसा क्यों ?
🎯 विश्व आदिवासी दिवस (09 अगस्त) : चिंतन का वक्त है कि आदिवासी समाज कहाँ खड़ा है ?
📌 आशा है कि वर्ष में किसी एक दिन तो हमारे आदिवासी भाइयो की सुनी जायेगी ? आज विश्व आदिवासी दिवस पर हमारी मांग है कि चित्रकूट जिले के बहिलपुरवा क्षेत्र में एक अस्पताल खोला जाये जिससे गरीब और असहाय लोगों का इलाज हो सके ।
(रिपोर्ट - अनुज हनुमत)
विश्व अादिवासी दिवस ( 09 अगस्त) के माैके पर यह चिंतन का वक्त है कि आदिवासी समाज कहां खड़ा है ? जल, जंगल और जमीन आरंभ से आदिवासी जीवन से जुड़ा रहा है. समय के साथ-साथ बदलाव हुए हैं आैर यह समाज भी बदला है. अंगरेजाें के खिलाफ अगर आदिवासियाें ने हथियार उठाये थे, ताे इसका एक बड़ा कारण जमीन था. आज भी जमीन का मुद्दा आदिवासियाें के लिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है. इस समाज के सामने बड़ी चुनाैती है कि विकास का मॉडल क्या हाे जिससे वे पिछड़े भी नहीं आैर उनकी संस्कृति भी सुरक्षित रहे । इस वर्ष 24वां विश्व आदिवासी दिवस पूरे विश्वभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। आज ही के दिन संयुक्त राष्ट्रसंघ ने दुनियाभर के आदिवासी समाज के मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए प्रस्ताव पारित किया था। जिसके बाद से यह दिवस दुनियाभर में यह दिवस मनाया जाता है। *सवाल यह है कि भारत समेत दुनियाभर के देशों में आदिवासियों की हालत दोयम दर्जे की क्यों है? आदिवासी समाज देश की मुख्यधारा से बाहर क्यों हैं ? आज इस मौके पर पूरी व्यवस्था से हमारी मांग है कि चित्रकूट जिले के बहिलपुरवा क्षेत्र में एक अस्पताल खोला जाये ।* ये पूरा क्षेत्र दलित आदिवासी बाहुल्य है । यहाँ के लोग आजादी के 70 वर्ष बाद भी आज विकास की मुख्य धारा से जुड़ने हेतु टकटकी लगाए बैठे हैं लेकिन आज तक इन्हें सिवाए सांत्वना और वादों के कुछ नही मिला ।
आज विश्व दिवस के मौके पर मानिकपुर तहसील परिसर में सैकड़ो की संख्या में आदिवासी भाई अपनी मांगों को लेकर इकट्ठा होंगे । सुबह 11 बजे से ।
रिपोर्ट - अनुज हनुमत
विशेष संवाददाता
बुन्देलखण्ड न्यूज & बुन्देलखण्ड कनेक्ट मैगजीन
मो. 09792652787
📌 आशा है कि वर्ष में किसी एक दिन तो हमारे आदिवासी भाइयो की सुनी जायेगी ? आज विश्व आदिवासी दिवस पर हमारी मांग है कि चित्रकूट जिले के बहिलपुरवा क्षेत्र में एक अस्पताल खोला जाये जिससे गरीब और असहाय लोगों का इलाज हो सके ।
(रिपोर्ट - अनुज हनुमत)
विश्व अादिवासी दिवस ( 09 अगस्त) के माैके पर यह चिंतन का वक्त है कि आदिवासी समाज कहां खड़ा है ? जल, जंगल और जमीन आरंभ से आदिवासी जीवन से जुड़ा रहा है. समय के साथ-साथ बदलाव हुए हैं आैर यह समाज भी बदला है. अंगरेजाें के खिलाफ अगर आदिवासियाें ने हथियार उठाये थे, ताे इसका एक बड़ा कारण जमीन था. आज भी जमीन का मुद्दा आदिवासियाें के लिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है. इस समाज के सामने बड़ी चुनाैती है कि विकास का मॉडल क्या हाे जिससे वे पिछड़े भी नहीं आैर उनकी संस्कृति भी सुरक्षित रहे । इस वर्ष 24वां विश्व आदिवासी दिवस पूरे विश्वभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। आज ही के दिन संयुक्त राष्ट्रसंघ ने दुनियाभर के आदिवासी समाज के मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए प्रस्ताव पारित किया था। जिसके बाद से यह दिवस दुनियाभर में यह दिवस मनाया जाता है। *सवाल यह है कि भारत समेत दुनियाभर के देशों में आदिवासियों की हालत दोयम दर्जे की क्यों है? आदिवासी समाज देश की मुख्यधारा से बाहर क्यों हैं ? आज इस मौके पर पूरी व्यवस्था से हमारी मांग है कि चित्रकूट जिले के बहिलपुरवा क्षेत्र में एक अस्पताल खोला जाये ।* ये पूरा क्षेत्र दलित आदिवासी बाहुल्य है । यहाँ के लोग आजादी के 70 वर्ष बाद भी आज विकास की मुख्य धारा से जुड़ने हेतु टकटकी लगाए बैठे हैं लेकिन आज तक इन्हें सिवाए सांत्वना और वादों के कुछ नही मिला ।
आज विश्व दिवस के मौके पर मानिकपुर तहसील परिसर में सैकड़ो की संख्या में आदिवासी भाई अपनी मांगों को लेकर इकट्ठा होंगे । सुबह 11 बजे से ।
रिपोर्ट - अनुज हनुमत
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