यूपी में भाजपा को भरनी होगी युवा नेतृत्व के साथ वही पुरानी उड़ान ,सुधारनी होगीं ये गलतियाँ
पिछले कुछ दिनों से देख रहा हूं कि यूपी में भाजपा अपने संगठनात्मक फेरबदल को लेकर काफी व्यस्त थी और मंडल स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक बड़ी मात्रा में युवाओं की दावेदारी ने पार्टी आलाकमान की मुश्किलें और भी बढ़ा दी हैं, क्योंकि पार्टी के सामने सबसे बड़ी समस्या ये है की किसको ज्यादा तवज्जो दे_'पार्टी के पुराने सिपाहियों को' या 'पार्टी के नये सिपाहियों को' । दरअसल पार्टी में इस समय दो धड़े हैं, एक वह जिसका नेतृत्व पार्टी के बुजुर्ग नेता कर रहे हैं और जिन्होंने पार्टी की नींव को अपने खून-पसीने से सींचा है और जो किसी भी हालत में अपनी जगह नही गंवाना चाहते और दूसरा धड़ा उन नौजवानों का है, जिसका नेतृत्व पिछले लोकसभा चुनावो में अपनी चमक बिखेरने वाले 'युवा' कर रहे हैं, वे इसी दरवाजे से अब सक्रीय राजनीति में मजबूती से दाखिल होना चाहते हैं। यूपी में चल रहे भाजपा के संगठनात्मक चुनावों की स्थिति यही नहीं ठहरती, बल्कि अभी और भी पेंच सामने आ रहे हैं, जिसमें मंडल स्तर और जिले स्तर में 'जातिवाद' का जहर भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जिसमें कार्यकर्ता अपने पारस्परिक व्यवहा