मेरा पत्र - "अब सहन नही होता ,कुछ तो करिये प्रधानमन्त्री जी..........!"
प्रिय प्रधानमन्त्री , हमारा पड़ोसी देश 'आतंकवाद' का रास्ता अपनाकर लगातार हमारे जवानों को मौत की नींद सुला रहा है और हमारे देश के स्वाभिमान का लगातार बलात्कार करने पर अमादा है । ऐसे वक्त में जब आपका व्यक्तित्व पूरे विश्व को शांति का एक नया सन्देश दे रहा है ऐसे में अपने ही देश में अशांति क्यों ? सवा सौ करोड़ देश की जनता को आप पर विश्वास है की पड़ोसी मुल्क के घृणित कार्यों पर आप लगाम लगाएंगे । लेकिन एक बात समझ नही आती की ऐसे समय में जब देश की सभी राजनीतिक पार्टियों को एक मंच पर आकर आतंकवाद से निपटने के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए लेकिन ऐसी स्थिति में भी हमारे देश के अधिकांश नेताओं की 'मर्दानगी' सियासी कुर्सी के लालच में चूड़ियाँ पहनकर बैठ जाती है ।125 करोड़ भारतीय हैं 'हम' चाहे तो हमारी एक हुंकार से पड़ोसी देश में सुनामी आ सकती है । लेकिन हमारे यहाँ की आपसी राजनीतिक नूराकुश्ती के सियासी बुखार ने विश्व के सबसे मजबूत 'भारतीय लोकतंत्र' को भी बीमार कर रखा है । सर, तमाम सोशल साइट्स में अधिकांश लोगो द्वारा आपको युद्ध की सलाह दी जा रही